BAPS Swaminarayan Sanstha | स्वामीनारायण संस्था का इतिहास

BAPS Swaminarayan Sanstha: स्वामीनारायण सम्प्रदाय एक प्रमुख हिंदू संप्रदाय है जो भारत में विशेष रूप से प्रचलित है। यह सम्प्रदाय प्राचीन भारतीय संत स्वामीनारायण भगवान के उपासकों द्वारा स्थापित किया गया था। यह सम्प्रदाय उत्तर भारत, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, एवं अन्य क्षेत्रों में प्रमुख रूप से प्रचलित है। स्वामीनारायण सम्प्रदाय के अनुयायी भगवान स्वामीनारायण के प्रति अच्छी श्रद्धा रखते हैं और उनका पूजन करते हैं। इस सम्प्रदाय की प्रमुख चर्चा कुशलता, नियमित साधना, ध्यान, सेवा, और समाजसेवा में निष्ठा की जाती है। सम्प्रदाय के अनुयायी अपने जीवन को धार्मिक आदर्शों और संगीतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से समृद्ध करते हैं।

BAPS

इस सम्प्रदाय के महत्वपूर्ण मंदिर और स्थल भारत भर में हैं, जो उनके श्रद्धालुओं की संख्या में बड़ा योगदान करते हैं। उनके प्रमुख आचार्यों के माध्यम से, यह सम्प्रदाय धार्मिक शिक्षा, सामाजिक कार्य, और सांस्कृतिक विकास में भी योगदान करता है।

BAPS क्या है ? | BAPS History In Hindi

BAPS का अर्थ है “बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था”। यह एक अंतरराष्ट्रीय हिंदू आध्यात्मिक और सामाजिक संगठन है जो 1907 में शास्त्रीजी महाराज द्वारा स्थापित किया गया था। BAPS का मुख्यालय अहमदाबाद, गुजरात, भारत में स्थित है।

बूच क्षेत्र, गुजरात, भारत में स्थित स्वामीनारायण मंदिर संस्था (BAPS) का इतिहास व्यापक और उत्कृष्ट है। यह संस्था प्रमुख धार्मिक नेता प्रमुख स्वामी श्री योगीराज महाराज द्वारा 20वीं सदी में स्थापित की गई थी। BAPS का मूल उद्देश्य भगवान स्वामीनारायण की पूजा, साधना, सेवा, और समाजसेवा के माध्यम से धार्मिक और सामाजिक सुधार करना है। इसके गुरुवार्य आचार्यों की मार्गदर्शन में, यह संस्था विद्यालय, अस्पताल, सामाजिक केंद्र, और भव्य मंदिरों का निर्माण और परिचालन करती है। BAPS के मंदिरों की खासियत उनके भव्य आर्किटेक्चर और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में है, जो धार्मिकता के साथ-साथ विचारशीलता को भी अभिव्यक्त करते हैं। BAPS के सदस्य नियमित रूप से धार्मिक, सामाजिक, और शैक्षिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और समाज के लिए निःस्वार्थ सेवा करते हैं।

1907 में शास्त्रीजी महाराज के नेतृत्व में स्थापित, बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) स्वामीनारायण सम्प्रदाय की एक प्रमुख शाखा है। इसके इतिहास में कई प्रमुख आचार्यों का योगदान रहा है, जिनमें संस्थापक शास्त्रीजी महाराज, विस्तारक योगीजी महाराज, वैश्विक पहचान दिलाने वाले प्रमुख़ स्वामी महाराज और वर्तमान नेतृत्वकर्ता महंत स्वामी महाराज शामिल हैं। BAPS ने वैश्विक स्तर पर मंदिर निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक कार्य और विभिन्न धर्मों के बीच सद्भाव बढ़ाने जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है। “अक्षर पुरुषोत्तम उपासना” के दर्शन को मानते हुए BAPS अपने अनुयायियों को नैतिक और आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है। यद्यपि आधुनिकता से तालमेल बैठाना, युवा पीढ़ी को सही मार्ग पर लाना और अन्य सम्प्रदायों के साथ बेहतर संबंध बनाना संस्था के सामने कुछ चुनौतियाँ हैं, परन्तु यह निश्चित है कि BAPS आने वाले समय में भी समाज में सकारात्मक योगदान देता रहेगा।

बीएपीएस संस्था के विस्तार का इतिहास

बीएपीएस संस्था की कहानी 1907 में भगवान स्वामीनारायण के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी “शास्त्रीजी महाराज” द्वारा बोचासनवासी स्वामीनारायण संस्था की स्थापना के साथ शुरू होती है। संगठन के प्रारंभिक वर्षों को मंदिरों के निर्माण, स्वामीनारायण की शिक्षाओं के प्रसार और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना द्वारा चिह्नित किया गया था।

1951 में शास्त्रीजी महाराज के निधन के बाद, एक अन्य आध्यात्मिक उत्तराधिकारी योगीजी महाराज ने नेतृत्व संभाला। उनके मार्गदर्शन में, बीएपीएस संस्था ने महत्वपूर्ण विकास देखा, पूरे भारत में अपनी पहुंच का विस्तार किया और पूर्वी अफ्रीका में उपस्थिति स्थापित की। इस अवधि के दौरान सामाजिक कल्याण और सामुदायिक विकास पर संगठन का ध्यान भी तेज हो गया।

1971 में तीसरे आध्यात्मिक उत्तराधिकारी “प्रमुख स्वामी महाराज” इस पद पर आसीन हुए. उन्होंने बीएपीएस संस्था के वैश्विक विस्तार का नेतृत्व किया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में मंदिरों और आध्यात्मिक केंद्रों की स्थापना की। प्रमुख स्वामी महाराज ने अंतरधार्मिक संवाद और पर्यावरण चेतना पर भी जोर दिया, जिससे सामाजिक भलाई के लिए संगठन की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया गया।

आज, महंत स्वामी महाराज के नेतृत्व में, बीएपीएस संस्था अपने बहुआयामी मिशन को जारी रखे हुए है, जो दुनिया भर में आध्यात्मिक मार्गदर्शन, समाज सेवा और सांस्कृतिक सद्भाव के प्रतीक के रूप में सेवा कर रही है।

बीएपीएस संस्था: प्रमुख विशेषताएं

विवरणविवरण
स्थापना1907-1908
संस्थापकशास्त्रीजी महाराज (भगवान स्वामीनारायण के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी)
वर्तमान उत्तराधिकारीGuruhari (महंत स्वामी जी महाराज)
मुख्यालयवडोदरा, गुजरात, भारत
मूल सिद्धांतवेद, उपनिषद, भगवद गीता
उद्देश्यआध्यात्मिक विकास, सामाजिक सेवा, सार्वभौमिक शांति
गतिविधियां1.आध्यात्मिक: मंदिर निर्माण, अनुष्ठान, शिक्षा
2. सामाजिक: शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, आपदा राहत
3. धर्मार्थ: गरीबों की सहायता, सामाजिक विकास
विशेषताएं1.दुनिया भर में 1,100+ मंदिर
2. शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, राहत सेवा कार्यक्रम
3. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय
वेबसाइटhttps://www.baps.org/

BAPS के मुख्य उद्देश्य हैं

बीएपीएस संस्था के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

आध्यात्मिक उद्देश्य:

  • भगवान स्वामीनारायण के सिद्धांतों का प्रचार और प्रसार करना।
  • भक्तों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करना।
  • नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देना।
  • मंदिरों का निर्माण और प्रबंधन करना।
  • धार्मिक अनुष्ठान और उत्सवों का आयोजन करना।

सामाजिक उद्देश्य:

  • शिक्षा, स्वास्थ्य, और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में सेवा करना।
  • आपदा राहत कार्य करना।
  • सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना।
  • गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना।
  • सामाजिक विकास कार्यक्रमों का संचालन करना।

मानवीय उद्देश्य:

  • सद्भाव, समझ और सार्वभौमिक शांति को बढ़ावा देना।
  • अहिंसा और करुणा के सिद्धांतों को स्थापित करना।
  • मानवता की भलाई के लिए कार्य करना।
  • विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के बीच पुल का निर्माण करना।

BAPS इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन करता है, जिनमें शामिल हैं:

  • मंदिरों का निर्माण और प्रबंधन: BAPS दुनिया भर में 1000 से अधिक मंदिरों का प्रबंधन करता है। इन मंदिरों में, भक्त भगवान स्वामीनारायण और उनके स्वामियों की पूजा करते हैं।
  • धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन: BAPS नियमित रूप से धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जैसे कि कथा, भजन, स्वास्थ्य शिविर, और रक्तदान शिविर।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना: BAPS स्कूलों, अस्पतालों और क्लीनिकों का संचालन करता है जो शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करते हैं।
  • मानवतावादी सहायता प्रदान करना: BAPS प्राकृतिक आपदाओं और अन्य आपातकालीन स्थितियों में मानवतावादी सहायता प्रदान करता है।

BAPS का दुनिया भर में 50 लाख से अधिक सदस्यों का एक बड़ा समुदाय है। यह समुदाय विभिन्न जातियों, धर्मों और संस्कृतियों के लोगों से बना है। BAPS सभी लोगों को समान मानता है और सभी के बीच सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देता है।

BAPS के कुछ प्रमुख मंदिरों में शामिल हैं:

बीएपीएस के प्रमुख मंदिर:

भारत:

  • अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली
  • अक्षरधाम मंदिर, गांधीनगर
  • स्वामीनारायण मंदिर, अहमदाबाद
  • बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर, मुंबई
  • बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर, बेंगलुरु
  • बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर, चेन्नई

विदेश:

  • बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर, लंदन
  • बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर, न्यू जर्सी
  • बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर, सिडनी
  • बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर, टोरंटो
  • बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर, दुबई
  • बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर, नैरोबी

नोट: यह सिर्फ एक छोटी सूची है, दुनिया भर में बीएपीएस के 1,100 से भी अधिक मंदिर हैं।

BAPS के कुछ प्रमुख संतों में शामिल हैं:

  • भगवान स्वामीनारायण
  • गुनटितानंद स्वामी
  • भगतजी महाराज
  • शास्त्रीजी महाराज
  • योगीजी महाराज
  • प्रमुख़ स्वामी महाराज
  • महंत स्वामी महाराज

निष्कर्ष

बीएपीएस संस्था एक बहुआयामी हिंदू संगठन है जिसने भारत और दुनिया के आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आध्यात्मिकता, सेवा और इंटरफेथ संवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ, बीएपीएस संस्था सभी के लिए एक अधिक सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण दुनिया बनाने का प्रयास करती है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया होम पेज को जरुर विजिट करें – https://sarkarijobshub.com/

BAPS क्या है ?

BAPS का अर्थ है Bochasanwasi Akshar Purushottam Swaminarayan Sanstha। यह एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हिंदू सामाजिक-आध्यात्मिक संगठन है। इसकी स्थापना 1907 में Shastriji Maharaj ने की थी। BAPS का मुख्यालय Ahmedabad, Gujarat, India में है।

बीएपीएस की स्थापना किसने की थी ?

बीएपीएस की स्थापना 5 जून 1907 को शास्त्रीजी महाराज ने बोचासण, गुजरात में की थी।
शास्त्रीजी महाराज भगवान स्वामीनारायण के उत्तराधिकारियों में से एक थे और उन्होंने अक्षर-पुरुषोत्तम उपासना के सिद्धांत का प्रचार करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

बीएपीएस (BAPS) संप्रदाय के संस्थापक कौन है ?

इसके संस्थापक भगवान स्वामीनारायण है ?

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